किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर / केसीसी धारक की मृत्यु हो जाने पर क्या होगा?

KCC Loan Nahi Chukane par:- किसान क्रेडिट कार्ड ऋण किसानों को दी कृषि विकास एवं कृषि से जुड़े उद्योग धंधों को विकसित करने हेतु उपलब्ध करवाया जाता है। Kisan Credit Card loan न चुकाने पर क्या होगा? या किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसान की मृत्यु हो जाने पर केसीसी लोन (KCC Laon) का क्या होगा? यह  यह प्रश्न हर किसान के मन में आना स्वाभाविक है। इस लेख में हमने Kisan Credit Card Loan न चुकाने से जुड़ी बारीकियों को विस्तार पूर्वक बताया है। यदि किसान कारणवश केसीसी लोन की राशि (KCC Loan Amount) समय पर जमा नहीं करवाते हैं। तो बैंक द्वारा किस प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जाती है?

क्या किसानों की जमीन बैंक द्वारा जप्त कर ली जाती है? किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसान की मृत्यु हो जाने पर कैसे लोन का क्या होगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलने वाले हैं। अतः आप नीचे दी गई सभी कॉलम्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

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किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होगा?

देखिये, आपने अक्सर सुना होगा भारत के कई राज्य सरकारों ने सरकारी खजाने से किसानों का कर्ज माफ किया है। जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश आदि। ऐसे किसान जो कृषि ऋण (Krshi Rin) लेने के बाद समय पर जमा नहीं करवा पाते हैं। और उनकी जमीन नीलामी की कगार पर आ जाती है। ऐसे किसानों की मदद करने के लिए सरकार हमेशा आगे आती रही है। हालांकि ऐसा सभी किसानों के साथ नहीं होता है। तो आज हम विस्तार पूर्वक जानते हैं कि यदि किसान क्रेडिट कार्ड लोन (KCC Loan Nahi Chukane par) को समय अवधि पर जमा नहीं कराते हैं। तो बैंक द्वारा क्या कार्रवाई की जा सकती है और बैंक द्वारा एनपीए (NPA) (Non-Performing Assets) घोषित करने के क्या मापदंड है।

योजन नामकिसान क्रेडिट कार्ड
केसीसी की पूरी जानकारीयहाँ देखें
किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनवाएंयहाँ देखें
केसीसी लोन न चुकाने पर क्या होगायहाँ देखें
पीएम फसल बीमा की जानकारीयहाँ देखें

Kisan Credit Card NPA kya Hota Hai

  • भारतीय बैंकों में किसी मूलधन एवं ब्याज की क़िस्त जमा अवधि को अधिकतम 90 दिन तक निर्धारित किया गया है।
  • परंतु किसानों को दिए गए क्रेडिट लोन (KCC Loan) की छह माही या वार्षिक निर्धारित की जाती है।
  • लंबी अवधि की फसलों के लिए ब्याज या मूलधन केसीसी लोन की किस्त की समय अवधि सीजन खत्म होने तक रहती है।
  • कम अवधि के लिए उगाई गई फसलों की मूल धन एवं ब्याज राशि को जमा कराने की अवधी दो फसलों तक रहती है।
  • यदि किसान 6 माह पर किसान क्रेडिट कार्ड ऋण को बैंक में जमा करवा देते हैं। तो उन्हें ब्याज दर में छूट मिलती है। और किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता।
  • यदि यह प्रक्रिया वार्षिक की जाती है तो उन्हें 7% ब्याज दर से बढ़ा कर 12 से 13% ब्याज देना पड़ सकता है।
  • यदि कोई किसान 1 साल के बाद भी किसान क्रेडिट कार्ड लोन को जमा नहीं करवाते हैं अर्थात 3 साल तक किसान क्रेडिट कार्ड जमा नहीं करवाए जाने पर बैंक द्वारा कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इससे पहले बैंक कुछ स्टेप्स के माध्यम से किसान को केसीसी लोन चुकाने हेतु आग्रह करता है।

केसीसी लोन नहीं चुकाने पर बैंक द्वारा की जाने वाली कार्यवाही

 प्रथम प्रक्रिया:-  नोटिस जारी करना

  • बैंक द्वारा निर्धारित समय अवधि के बाद भी किसान द्वारा केसीसी ऋण की अदायगी नहीं की जाती है। तो बैंक द्वारा लिखित में किसान के निवास स्थान पर नोटिस जारी किया जाता है।
  • यदि किसान नोटिस का कोई जवाब नहीं देते है। तो उन्हें फिर से नोटिस दिया जाता है अर्थात बैंक द्वारा तीन बार नोटिस दिया जाता है। नोटिस प्रक्रिया समय अवधि पूर्ण होने के पश्चात बैंक द्वारा दूसरी प्रक्रिया अपनाई जाती है।

दूसरी प्रक्रिया:-  रिकवरी एजेंटों को भेजना

जब किसान द्वारा नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया जाता है। तो बैंक द्वारा अधिकृत रिकवरी कंपनी अमुक व्यक्ति के नाम के साथ डिटेल दे दी जाती है। रिकवरी एजेंट किसान के पास जाते हैं तथा उन्हें केसीसी लोन को चुकाने के लिए आग्रह करते हैं। उन पर दबाव भी बनाया जाता है। हालांकि यह दबाव नैतिक तौर पर होगा कोई भी एजेंट आपके साथ बदतमीजी या मारपीट नहीं कर सकता।

तृतीय प्रक्रिया:-  बैंक द्वारा एनपीए (NPA) घोषित कर देना

बैंक द्वारा किसान के बैंक खाते को एनपीए (NPA- Non-Performing Assets) घोषित कर दिया जाता है। एमपी घोषित करने के बाद किसान को बैंक में डिफाल्टर घोषित कर दिया जाता है। तथा सिबिल (SIBIL) जो कि किसान का क्रेडिट स्कोर होता है। उस को काफी नुकसान होता है। NPA अकाउंट को चाहे तो किसान फिर से रिकवर कर सकता है। यदि वह  बैंक द्वारा लगाए गए सभी चार्ज  तथा लोन राशि को जमा करवा देते हैं।

बैंक द्वारा डिफाल्टर घोषित करना एक प्रक्रिया है यदि किसान चाहे तो बैंक में जाकर लोन का सेटलमेंट का सकता है। बैंक द्वारा किसान को सेटलमेंट का विकल्प भी दिया जाता है। यदि किसान ब्याज सहित केसीसी ऋण (KCC Loan Amount) की अदायगी कर देता है। फिर से बैंक में अपनी छवि को बरकरार रखने का मौका मिल जाता है।

चौथी प्रक्रिया:- सेटलमेंट का अंतिम अवसर देना

बैंक द्वारा किसान के सभी ब्याज, चार्ज, पेलेंटी को माफ कर दिया जाता है और मूल राशि चुकाने का आग्रह किया जाता है। यदि किसान यहां पर एग्री (सहमत) हो जाते हैं। तो किसान को पूर्ण तरह से डिफाल्टर घोषित करके मूलधन की अदायगी स्वीकार कर ली जाती है। पर भविष्य में किसान उस बैंक से या किसी भी बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड लोन नहीं ले सकते।

पांचवी प्रक्रिया:- किसान पर केस दर्ज करना

बैंक द्वारा सभी प्रक्रिया व्यवहारिक तौर पर पूर्ण की जाती है। यदि फिर भी किसान के द्वारा ऋण अदायगी नहीं की जाती है। तो अंत में बैंक द्वारा किसान पर कोर्ट केस दर्ज करवा दिया जाता है। कोर्ट केस में वकील द्वारा नोटिस भेजा जाता है। किसान को तय समय में कोर्ट में पेश होना पड़ता है। यहां पर भी कोर्ट द्वारा किसान को KCC Loan चुकाने पर आग्रह किया जाता है। यदि कोर्ट में कुछ समय की मांग करता है तो कोर्ट द्वारा समय भी दिया जाता है।

छठी प्रक्रिया:- जमीन नीलामी पत्र की घोषणा

सभी प्रक्रिया विफल होने के पश्चात बैंक द्वारा किसान के नाम नीलामी पत्र घोषित कर दिया जाता है। जोकि ग्राम सभा में बैंक द्वारा सभी के समक्ष नीलामी का प्रस्ताव रखा जाता है। यहां पर किसान यदि लोन की अदायगी करने पर सहमत नहीं होता है तो किसान को अपनी जमीन खोनी पड़ सकती है।

RBI KCC Rule in Hindi

किसान क्रेडिट कार्ड किसान की मृत्यु हो जाने पर केसीसी लोन का क्या करें?

  • बैंक द्वारा केसीसी धारक किसान का इंश्योरेंस किया जाता है। सरकार द्वारा भी किसान क्रेडिट कार्ड ऋण धारक किसानों का बीमा किया जाता है। जिसमें ₹50000 और विकलांग होने पर ₹25000 किसान बीमा के अंतर्गत राशि निर्धारित हैं। यदि किसान का बीमा नहीं है और लोन की राशि अधिक है तो जमीन उत्तराधिकारी को केसीसी लोन अदायगी करनी पड़ेगी।
  • सरकार द्वारा केसीसी लोन को माफ कर दिया जाता है। तो बैंक द्वारा जमीन उत्तराधिकारी को अनापत्ति प्रमाण पत्र ( No Dues) दे दिया जाता है।
  •  बैंक द्वारा लिए गए ऋण को जमा करवाना अनिवार्य है। चाहे वह इंश्योरेंस कंपनी द्वारा हो या फिर जमीन के उत्तराधिकारी द्वारा ऋण की अदायगी की गई हो
  • केसीसी लोन नहीं चुकाने पर किसान के साथ उक्त पर बताई गई बैंकिंग प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। जिसमें अंतिम रूप से किसान की जमीन नीलामी की कगार पर आ सकती है।

किसान क्रेडिट कार्ड लोन नहीं चुकाए जाने पर क्या करें?

  • KCC Loan Nahi Chukane par:- ऐसे किसान जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि वह समय पर केसीसी ऋण को जमा करा सके। ऐसे में बैंक द्वारा उक्त में बताई गई सभी प्रक्रियाओं का पालन करना नियमानुसार है। यदि किसान चाहे तो इस प्रक्रिया को बदलवा सकते हैं इसके लिए आप कुछ स्टेप अपना सकते हैं जैसे:-
  • सबसे पहले तो बैंक द्वारा छह माह पर ब्याज जमा कराने का अवसर दिया जाता है।  यहां पर आपको 3% ब्याज दर में भी छूट मिलेगी। हो सके तो आप प्रति 6 माह से केवल ब्याज जमा करवाकर केसीसी को लंबे समय तक जारी रख सकते हैं।
  • यदि आप 6 पर केसीसी लोन का ब्याज जमा नहीं करवा सकते तो वार्षिक ब्याज का भुगतान करके भी KCC को लंबे समय तक जारी रखा जा सकता है।
  • यदि किसान फिर भी ऋण अदायगी नहीं कर सकते हैं और बैंक द्वारा आपको केसीसी जमा करवाने पर नोटिस आ जाता है। तो आप तुरंत बैंक में संपर्क करें तथा समय अवधि की पूरी जानकारी प्राप्त करें।
  • कहीं से भी पैसों का अरेंजमेंट करके ब्याज राशि को जमा करके केसीसी को बेदाग रख सकते हैं।
  • बैंक द्वारा नोटिस जारी करने के बाद भी किसान के साथ नाइंसाफी नहीं की जा सकती।

FAQ;s KCC Loan Nahi Chukane par

Q. किसान क्रेडिट कार्ड लोन जमा नहीं कराने पर क्या जमीन जप्त हो सकती है?

Ans. ऐसा नहीं है, यदि आप बैंक द्वारा दिए गए समय अवधि का ध्यान रखते हुए किसान क्रेडिट कार्ड को किसी भी तरह से जमा करवा देते हैं। तो आप की जमीन को कोई खतरा नहीं है। यदि सभी प्रक्रियाएं विफल है तो बैंक द्वारा जमीन को जप्त/ नीलामी की जा सकती है।

Q. किसान की मृत्यु हो जाने पर केसीसी लोन का क्या करें?

Ans. किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसान की मृत्यु हो जाने पर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा केसीसी लोन की भरपाई करी जाती है। यदि किसान का बीमा नहीं है तो जमीन के उत्तराधिकारी को Kcc Loan जमा करना पड़ेगा। यदि सरकारी योजना के अंतर्गत केसीसी माफ हो जाती है। तो उत्तराधिकारी को बैंक द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा।

Q. केसीसी लोन कितने समय के लिए मिलता है?

Ans. केसीसी लोन अधिकतम 5 वर्ष के लिए मिलता है। यदि इसे अधिक समय के लिए जारी रखना है तो ऋण राशि एवं सभी जमीने दस्तावेज पुनः जमा करवा कर फिर से 5 साल के लिए केसीसी ऋण को बढ़ाया जा सकता है।

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