जिस परिवार में पैतृक संपत्ति, पॉलिसी या चल-अचल संपत्ति को लेकर बटवारा परिस्थिति बनी हुई है। ऐसे में पूर्व लिखित वसीयत (Will) बहुत अहम होती है। पैतृक संपत्ति को भाइयों, बहनों तथा कानूनी तौर पर वारिस के बीच व्यवस्थित रूप से बांटा जा सके, इसलिए जिम्मेदार परिवार के मुखिया द्वारा वसीयत (Vasiyat) लिखी जाती है। यदि वसीयत लिखने वाले मुखिया की वसीयत को उजागर किए बगैर मृत्यु (Death) हो जाती है, यह समस्या उत्पन्न होती है कि मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता कितनी होती है? (Vasiyat Ki Vaidhta) क्या उस में लिखे गए विवरण को कानूनी तौर पर सही माना जाता है? क्या वसीयत में लिखी गई संपत्ति बंटवारे विवरण को चुनौती दी जा सकती है? इस संबंध में विस्तार पूर्वक प्रक्रिया आप इस लेख में जानने वाले हैं। इसलिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है? | जानिए वसीयत से जुड़े नियम
वसीयत वैधता के मुख्य प्रारूप
वसीयत किसी भी सादा कागज पर लिखा जा सकता है। वसीयत लिखते समय कुछ महत्वपूर्ण विषयों को वसीयत में जिक्र करना उसकी वैधता (Validity) को बढ़ाता है तथा उस पर लिए जाने वाले ठोस निर्णय को सही से समझने में आसानी होती है। वसीयत को कानूनी तौर पर पूर्णता वैध माना जाए, इसके लिए वकील द्वारा वसीयत लिखवाई जा सकती है और उसे पंजीकरण करवाया जा सकता है। वसीयत लिखने के मुख्य तौर पर कुछ प्रारूप है जिन्हें फॉलो किया जाता है जैसे:-
- व्यक्तिगत जानकारी (Personal Detail) वसीयतकर्ता का नाम, पिता का नाम, घर का पता, जन्म तिथि से जुडी जानकारी दर्ज हो।
- तिथि की घोषणा (Date Mension) वसीयत तैयार करने की दिनांक का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है।
- निष्पादक का विवरण (Executor details) वसीयत में निष्पादक की आवश्यकता होती है जो इसे लागू करता है। इसलिए, आपको निष्पादक का नाम, (जिसे सम्पति दी जानी है) पता, निष्पादक के साथ संबंध, आयु आदि का उल्लेख करना चाहिए।
- स्वतंत्र इच्छा का सत्यापन (Verification of free will) वसीयत लिखते समय, इसे स्वतंत्र इच्छा से बना रहे हैं न कि किसी व्यक्ति के प्रभाव या दबाव में इसका विवरण जरूर प्रस्तुत करना चाहिए।
- संपत्ति विवरण (Property details) वसीयत लिखते समय अचल सम्पति जैसे जमीन, भूखंड, दुकान आदि का स्थान व संख्या तथा मात्रा का विवरण लिखे। चल सम्पति जैसे:- बीमा, बैंक जमा, म्यूचुअल फंड, पॉलिसी आदि का उल्लेख करें। लाभार्थी का विवरण (Beneficiary details) वसीयत विवरण में लाभार्थी/वारिस तथा निष्पादक के नाम का उल्लेख करना न भूलें।
- हस्ताक्षर (Signature) उपरोक्त सभी विवरणों का सही से उल्लेख करने के बाद वसीयत पर हस्ताक्षर करना न भूले।
- गवाह के हस्ताक्षर (Witness Signatures) लिखी गई वसीयत पर कम से कम दो गवाहों के हस्ताक्षर जरूर करवाएं तथा गवाहों के पिता के नाम और पते का भी उल्लेख करें।
मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता | Vasiyat Ki Vaidhata
Validity of Will:- देखिए, वसीयत किसी भी व्यक्ति द्वारा लिखी जा सकती है। जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है और शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा चल-अचल संपत्ति (Porperty) पॉलिसी का अधिकारी है। जब तक संपत्ति संरक्षक जीवित है। तब तक संपत्ति पर पूर्ण अधिकार उसी व्यक्ति का रहता है। व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार संपत्ति बंटवारे को लेकर विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं। जिसे वसीयत (Vasiyat) कहा जाता है। यह वसीयत कानूनी तौर पर मान्य दस्तावेज होता है। वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद अमुक चल अचल संपत्ति को वसीयत में लिखे गए विवरण के अनुसार ही बांटा जाएगा अर्थात वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद लिखी गई वसीयत की वैधता (Vasiyat Ki Vaidhata) बढ़ जाती है।
मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता कितनी होती है?
वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद लिखी गई वसीयत पूर्णतया वैध मानी जाती है। इसे लागू करने की कोई समय सीमा नहीं रहती। वसीयत में जिक्र किए गए लाभार्थियों के लिए यह वसीयत प्रॉपर्टी दस्तावेज जितना मान्य है। इसे उनके जीवनकाल में कभी भी लागू किया जा सकता है। यदि वसीयत में लिखी गई बटवारा विवरण को पूर्ण रूप से पूरा किया जाता है तो इस वसीयत को निष्पादित माना जाएगा।
क्या वसीयत को चुनौती दी जा सकती है?
जी हां बिल्कुल, यदि किसी लाभार्थी को लिखी गई वसीयत विवरण से आपत्ति है। तो उसे 12 साल के भीतर इसे चुनौती देनी होगी और चुनौती देने के लिए ठोस कारण प्रस्तुत करने होंगे। यदि 12 साल बाद संपत्ति को चुनौती दी जाती है तो चुनौतीकर्ता के लिए वसीयत को गलत साबित करना मुश्किल हो जाएगा।